
नरेंद्र कुमार चावला

पार्षद के रूप में किये गए उनके एक वर्ष के सराहनीय कार्य, सुन्दर कार्य शैली, ईमानदारी तथा सच्चाई को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने उन्हें दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर के पद के लिए मनोनित किया। 26 अप्रैल 2018 को महापौर के पद की शपथ लेते ही उन्होंने यह दर्शा दिया कि वह ना केवल दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के रोज़मर्रा के कार्यों को और अधिक सुचारु रूप से चलाते हुए गति प्रदान करेंगे बल्कि अपनी आधुनिक तथा भिन्न सोच से नई परियोजनाएं भी इजात करेंगे।
महापौर बनते ही बहुत सी मल्टी-लेवल पार्किंग का सुझाव दिया, नए आयुष चिकित्सालय बनवाने पर ज़ोर दिया, शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्रों में सुविधाओं का सुधार किया, बेकार वस्तुओं के उपयोग से दिल्ली का सौंदर्यकरण करवाते हुए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को गौरवान्वित किया, पार्कों को सेवन-वंडर्स व जानवर रूपी आकृतियों से सुंदर बनाया तथा उनमें कई प्रकार के ट्रैक बनवाए जिन पर चलने से कई रोगों का इलाज हो सकेगा । निगम द्वारा लगाए जाने वाले स्मार्ट पोल्स में भी उनका योगदान है, इन पोल्स से लोगों को लाइट, वाई-फाई, 360 डिग्री कैमरा, एनवायरमेंटल सेंसर की सुविधा मिलेंगी, जिससे हर चीज़ नज़र में भी आएगी और प्रदूषण से जुड़े अपडेट भी मिलते रहेंगे। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के रोकथाम हेतु दवाइयों के छिड़काव के लिए ट्रेन चलवाई।
हाउस-टैक्स की पुरानी बकाया राशि को वसूलने के लिए आम माफ़ी योजना लाए जिससे आम आदमी के साथ-साथ निगम को भी काफी लाभ हुआ। ना ही सिर्फ बिल्डिंग बाई लॉज़ को सरल बनाया बल्कि कम्पलीशन सर्टिफिकेट की प्राप्ति की प्रक्रिया को भी आसान बनाया। जबकि न्यायालय ने न्यूनतम वेतन कम करने की बात की, तब भी उन्होंने निगम के कर्मियों का ध्यान रखते हुए, वेतन कम नहीं करने के आदेश दिए। निगम के विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं को मिलने वाली धन राशि को रूपये 500/- से बढ़ाकर रूपये 1000 /- कर दिया। इस तरह की बहुत सी और परियोजनाएं अभी आने वाली हैं जिनकी तैयारी में नरेंद्र जी दिन-रात लगे हैं।
पुरानी लाइटों को एल.ई.डी. लाइटों में बदले जाने पे संसाधनों की बचत हुई, सोलर पैनल लगने से प्रदूषण कम हुआ और संसाधनों की बचत भी, “वैस्ट टू आर्ट” के तहत बेकार वस्तुंओं के प्रयोग से फ्लाईओवर के निचे की जगह और पार्कों का सौदर्यकरण हुआ, घर-घर से कूड़ा इकट्ठा होना, प्रदूषण कम करने के लिए मैकेनिकल स्वीपर्स तथा वाटर स्प्रिंकलर्स का प्रयोग होना, इन सब कारणों से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 485 शहरों में 32वां स्थान प्राप्त हुआ है, जिसमें महापौर होने के नाते उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
उनके आदर्श माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के देहांत पर उन्होंने यह सुझाव दिया कि प्रगति मैदान पर बन रही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की नई इमारत, जो की दिल्ली की सबसे ऊँची इमारत बनने जा रही है, उसका नाम अटल जी के नाम पर रखा जाना चाहिए, और इस सुझाव के चलते, इस पर मंजूरी भी मिल गयी।
औचक निरीक्षण उनकी कार्यशैली का एक विशेष अंग है जिससे की दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में आने वाले सभी क्षेत्र लाभ ले रहे हैं। लोगों द्वारा ट्विटर, फेसबुक आदि के माध्यम से की गयी छोटी से छोटी शिकायत को भी वे संगीनता से लेते हैं और प्रयास करते हैं कि उस शिकायत को जल्द से जल्द दूर किया जा सके। कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, मार्किट वेलफेयर एसोसिएशन, मंदिर कमेटी, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, एन.जी.ओ., तथा समाज के सभी वर्गों से आने वाली अनेक संस्थाओं से निरंतर सम्पर्क में रहने के कारण उन्हें जनता की ज़रूरतों और मांगों का ज्ञान रहता है, जिसे समझकर जल्द कार्यवाही करते हैं।
जबकि यह निगम के कार्यक्षेत्र में नहीं आता, फिर भी उन्होंने पानी के संरक्षण की बात को जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश की और प्रदूषण का स्तर घटाने की दृष्टि से अभूतपूर्व कार्य किये। भारतीय कला व संस्कृति के पोषक हैं और सच्चे देशभक्त भी, इसलिए निगम के कार्यों में भी यह झलक देखी जा सकती है।
“SDMC आपके द्वार” योजना को आगे बढ़ाते हुए ऐसे बहुत से कार्य किये जिससे दिल्ली के नागरिक घर पर बैठे हुए ही सुविधाओं और योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं, जिसका एक उदाहरण है जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्रों की मुफ्त डोर-स्टेप डिलीवरी। ऐसा पहली बार उन्हीं के कार्यकाल में हुआ कि समुदाय भवनों को उठाला-तेरहवीं-ब्रह्मभोज के कार्यक्रम के लिए मात्र रूपये 1000/- में पूरे दिन के लिए दिया जाने लगा। इन नए कार्यों की शुरुआत से लोगों को विश्वास हो गया कि नरेंद्र जी हर व्यक्ति के सुख-दुःख के साथी हैं और जनता की उनपर उम्मीदें और बढ़ गईं जिन्हें पूरा करने के लिए वे निरंतर कार्यरत हैं।